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सर्वशक्तिमान, चार भाग का भाग २

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अधिक ध्यान आपको धीरे धीरे मुक्त कर देगा। जब हम ध्यान करते हैं, तो बोझ धीरे धीरे गायब हो जाएगा, और तब हमारे पास सब कुछ होगा। बस ध्यान करें, किसी चीज के लिए प्रार्थना करने की जरुरत नहीं, स्वाभाविक रुप से, आपके पास सब कुछ होगा। अधिक ध्यान करें, आप गुरु के साथ जुडे रहेंगे।

कभी–कभी हमें ध्यान में अनुभव नहीं होता है। इसका मतलब यह नहीं है कि हमको यह हुआ नहीं है। लेकिन समाधि से बाहर निकलते ही हम बस भूल जाते हैं। उच्च प्रभुता-क्षेत्रों हमारे ज़हन के लिए जानने के लिए नहीं है। ज़हन वहाँ तक कैसे पहुँच सकता है? हमारा ज़हन एक कैमरे की तरह है, ताकि यह जान जाता है। कभी कभी, हमारा जहन जानता है यह जब थोडा सा प्रभावित हो जाता है। सामान्यतः, ज़हन के लिए यह जानना कठिन है। लेकिन आप कभी–कभी देखते हैं। दीक्षा के दौरान, जब शक्ति बहुत प्रबल होती है, तो दिमाग को भी पता चलता है, क्योंकि यह इसके भीतर चली आती है, समझे? एक बहुत मजबूत झटका, शक्ति। जैसे तोड देता है, आपके पूर्वाग्रहों को तितर बितर कर देता है, चमकाता है, तो आपका ज़हन भी इसको जान सकता है। लेकिन बाद में, जब आप समाधि में होते हैं, और उससे बाहर आते हैं, आप भूल जाते हैं; लेकिन कभी–कभी आप जाग जाते हैं, फिर भी आप कुछ बची हुई (भीतरी स्वर्गीक) ज्योति, चमक देखते हैं, हम पूरी तरह जाग जाने से पहले, क्या यह सच है? कभी–कभी हमें नींद में अनुभव होता है। आप ध्यान करते हैं, तब धीरे धीरे सो जाते हैं। यह नींद पूर्ण ध्यान है। लेकिन जाग जाने के बाद, आपको कुछ भी दिखाई नहीं देता या कुछ पता नहीं चलता है। चिंता न करें, अभ्यास जारी रखें। मैं गारंटी देती हुँ कि कोई नहीं है जो ऊन्नत नहीं होता।
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